पुरानी पेंशन योजना (OPS) को वापस लाने की मांग पिछले कई वर्षों से पूरे देश में बड़े स्तर पर उठ रही है। सरकारी कर्मचारी लगातार आंदोलन, हस्ताक्षर अभियान और विभिन्न प्लेटफॉर्म पर सरकार से आग्रह कर रहे हैं कि उन्हें फिर से वही सुरक्षित और गारंटीड पेंशन मिले जो 2004 के पहले कर्मचारियों को मिलती थी। 2025 की शुरुआत में यह मुद्दा एक बार फिर चर्चा में आ गया है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट से जुड़े कुछ फैसलों ने इस बहस को और तेज कर दिया है। कर्मचारी संगठनों का मानना है कि न्यायालय के हालिया टिप्पणियों और सरकार के रुख में आए बदलाव से OPS बहाली का रास्ता पहले की तुलना में अब अधिक स्पष्ट दिखाई देता है।
सुप्रीम कोर्ट का हालिया झटका और कर्मचारी वर्ग की चिंता
सुप्रीम कोर्ट ने अभी तक OPS की बहाली पर कोई सीधा निर्देश नहीं दिया है, लेकिन कुछ हालिया मामलों में कोर्ट का रुख कर्मचारियों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ है। कुछ स्टेट गवर्नमेंट्स द्वारा NPS से OPS में लौटने की कोशिशों पर कोर्ट ने यह साफ कर दिया कि राज्य सरकारें केंद्र द्वारा बनाए गए पेंशन नियमों को बदल नहीं सकतीं। यह फैसला कई कर्मचारियों के लिए झटका साबित हुआ, क्योंकि वे यह उम्मीद कर रहे थे कि न्यायालय OPS की बहाली को संविधान के तहत कर्मचारी अधिकारों से जोड़कर नए रास्ते खोलेगा। हालांकि न्यायालय ने कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं पर सरकार को स्पष्ट दिशा देने के लिए भी कहा है, जिससे यह पता चलता है कि मामला अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।
क्या 2025 में OPS बहाली संभव दिख रही है?
2025 में OPS बहाली के समर्थन में कई नए पहलू सामने आए हैं। सबसे पहले, कुछ राज्यों में चुनावी माहौल के कारण सरकारें कर्मचारियों के हित में बड़े फैसले लेने को मजबूर हो सकती हैं। दूसरा, लगातार बढ़ते आंदोलनों ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर मजबूती से खड़ा कर दिया है। तीसरा, आर्थिक विशेषज्ञों का भी मानना है कि अगर सरकार चाहें तो एक “संशोधित OPS मॉडल” लागू किया जा सकता है जो पूरी तरह पुराने मॉडल जितना बोझिल भी न हो और कर्मचारियों को सुरक्षा भी प्रदान करे। इस वजह से कर्मचारी वर्ग में यह उम्मीद बनी हुई है कि 2025 में कोई बड़ा अपडेट सामने आ सकता है।
NPS बनाम OPS: आखिर विवाद क्यों बढ़ रहा है?
नई पेंशन योजना यानी NPS को 2004 के बाद लागू किया गया और इसे मार्केट-आधारित निवेश मॉडल माना गया। इसमें सरकार और कर्मचारी दोनों का योगदान होता है, लेकिन आखिरी पेंशन कितनी मिलेगी यह बाजार के परफॉर्मेंस पर निर्भर करती है। यही वह कारण है जिसके चलते कर्मचारी लगातार चिंतित रहते हैं। इसके विपरीत OPS में यह स्पष्ट था कि रिटायरमेंट के बाद कर्मचारी को अंतिम सैलरी के आधार पर गारंटीड पेंशन मिलती है। इसी अंतर ने विवाद को बढ़ा दिया और OPS की बहाली की मांग को मजबूती दी।
कर्मचारी संगठनों की रणनीति और बढ़ते आंदोलन
देश भर में हजारों कर्मचारी समूह NPS के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। कई राज्यों में विशाल रैलियां, धरने और शांतिपूर्ण प्रदर्शन आयोजित किए जा चुके हैं। कर्मचारी नेता तर्क देते हैं कि OPS केवल पेंशन नहीं, बल्कि एक सामाजिक सुरक्षा कवच है जिसे हटाने से लाखों परिवारों का भविष्य असुरक्षित हो गया है। 2025 में आंदोलन इसलिए और भी बढ़ गया है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कर्मचारी संगठनों ने अपनी रणनीति बदली है और वे अब संसद से कानून बनाने की मांग कर रहे हैं।
केंद्र सरकार का रुख और संभावित विकल्प
केंद्र सरकार ने कई बार यह संकेत दिया है कि NPS पूरी तरह हटाया नहीं जाएगा, लेकिन इसे बेहतर बनाने पर विचार किया जा सकता है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि सरकार “गैर-गारंटीड NPS + मिनिमम पेंशन” जैसे हाइब्रिड मॉडल पर विचार कर सकती है। इससे सरकार पर बहुत अधिक बोझ भी नहीं आएगा और कर्मचारियों को स्थायी पेंशन की सुरक्षा भी मिलेगी। हालांकि अभी तक किसी भी तरह की आधिकारिक घोषणा नहीं की गई है, लेकिन सरकार के भीतर इस मुद्दे पर चर्चा जारी रहने का संकेत जरूर मिलता है।
2025 में आने वाले संभावित बड़े फैसले
2025 के दौरान कई अहम घटनाएं इस मुद्दे को निर्णायक दिशा दे सकती हैं—जैसे संसद सत्र में NPS से जुड़े नए प्रावधान, सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामलों की सुनवाई, और सरकारी कमेटियों द्वारा जारी रिपोर्टें। कर्मचारी यह उम्मीद कर रहे हैं कि कम से कम एक ऐसा फ्रेमवर्क सामने आए जो OPS के महत्वपूर्ण लाभों को वापस लाए या उन्हें सुरक्षित रूप में संशोधित तरीके से पेश करे। यह भी माना जा रहा है कि अगर केंद्र सरकार कोई बड़ा निर्णय लेती है, तो राज्यों पर भी इसका सीधा प्रभाव पड़ेगा।
क्या OPS बहाली एक वित्तीय बोझ है?
कुछ अर्थशास्त्री OPS का विरोध करते हैं और इसे सरकारी बजट पर भारी बोझ बताते हैं, जबकि कर्मचारी संगठन इसे गलत धारणा बताते हैं। उनका तर्क है कि OPS के दौरान भी देश की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ती रही। इसके अलावा, सरकारी कर्मचारियों का योगदान GDP में काफी छोटा हिस्सा होता है। कई आंकड़े यह भी दिखाते हैं कि पेंशन खर्च को बेहतर मैनेजमेंट और दीर्घकालिक योजना से नियंत्रित किया जा सकता है। यानी OPS बहाली वित्तीय संकट का कारण बनेगी यह दावा सभी विशेषज्ञ नहीं मानते।
कर्मचारियों की आगे की राह क्या हो सकती है?
कर्मचारी संगठन 2025 में आंदोलन को और भी संगठित रूप देने की योजना बना रहे हैं। वे कोर्ट से लेकर संसद और राज्य सरकारों तक अपनी आवाज पहुंचाने की तैयारी कर रहे हैं। उनका मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के बाद अब लड़ाई केवल कानूनी नहीं, बल्कि राजनीतिक भी हो गई है। इसलिए अगर सरकार पर जनदबाव बढ़ता है तो OPS बहाली या उसका संशोधित स्वरूप लागू करने की संभावना मजबूत हो सकती है।
निष्कर्ष
OPS बहाली का मुद्दा 2025 में पहले से कहीं ज्यादा मजबूत दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने जहां कुछ रास्ते कठिन बनाए हैं, वहीं कर्मचारियों के आंदोलन और सरकार की संभावित रणनीति ने नई उम्मीदें भी जगाई हैं। आने वाले महीनों में यह तय होगा कि देश में पेंशन व्यवस्था किस दिशा में आगे बढ़ेगी।